उठे हाथ जो स्वागत को
करो याद उन हाथों को
बड़े जतन से ऊँगली थामे
बढ़ना जिसने सिखलाया बड़े यतन से धागा थामें
उड़ना जिसने सिखलाया
बड़े मनन से दामन थामे
खिलना जिसने सिखलाया
उठे हाथ जो स्वागत को
करो याद उन हाथों को
बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteअगर word verification हटा दें तो कमेंट्स देने में सुविधा रहेगी.
अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....
ReplyDeleteKailashji main aapki bat pe gour karungi.
ReplyDeleteaapko meri rachna bhavpurna lagi,main dil se shrukraguzar hun.Blon ka anusaran karne ke
liye dhanyawad.
saara,
ReplyDeleteaapko mere bhav ruche,mera prayas
sarthak raha..shukriya
Main anya blog ka bhi anusaran karti hun
shayad fir bhi kuchh chhoot gaya hai to main,punah
us oor dhyan dungi.
सुनेहरी यादे के पल मन में संजोये मैं भोपाल से चली आयी। आज जब अतीत के पृष्ठ पल्टे तो तुम सहसा ही मेरी तन्द्रा में आ गई। एक शब्द में कहूं तो सम्पूर्ण भारतीय नारी को चरितार्थ करती एक गर्वीली मुस्कान मेरे मानस पटल पर तैर गई। खेल खेल में जैसी सुन्दर कथ्यपरक पुस्तक के कोलोकार्पण की बधाई और शुभकामनाएं।
ReplyDeletehttp://sahityasrajan.blogspot.com
http://bal-sahitya.blogspot.com
Vimlaji,aapka aashirwaad mera sambal hai..main dil se aabhari hun.Kripaya isi tarah aashish dete rahiye ga.Dhanyawaad.
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