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Monday, October 25, 2010

ओम

मन रे तू कहे ना ओम जपे ..२
ओम जपन से..२
मन विचलित ना होय
मन रे ..२
ओम शब्द में ब्रह्म निहित है
ओम शब्द में स्वयं निहित है
ओम करे उद्धार
मन रे..२
ओम शब्द में प्रकृति निहित है
ओम शब्द में पुरुष निहित
ओम करे विश्वास
मन रे..२
ओम शब्द में भाव निहित है
ओम शब्द में भक्ति निहित है
ओम करे चमक्तकार
मन रे..२
ओम शब्द में ईश निहित है
ओम शब्द में विश्व निहित है
ओम करे निर्माण
मन रे..२
ओम शब्द में ध्यान निहित
ओम शब्द में धरम निहित है
ओम करे कल्याण
मन रे तू कहे ना ओम जपे

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