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Tuesday, September 20, 2011

dfork & Þ[ksy&[ksy esaß
[ksy&[ksy esa i<+ tk;saxs
V vk b bZ , ch lh Mh
[ksy&[ksy esa ge xk;saxs
Lkkjs] xkek] xhr] Hktu
[ksy&[ksy esa ge ukpsaxs
dRFkd] fMLdks] ukpk] cSys
[ksy&[ksy esa ge fy[ksasxs
dfork] ys[k] dgkuh] ukVd
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gyok] iwjh] [khj feBkbZ
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xhrk] ckbcy] xzaFk] d+qjku
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ekr] firk] xq#] txnh’oj
[ksy&[ksy esa yMsa+ yM+kbZ
iksfy;ks] dSalj] ,M~l] ihfy;k
[ksy&[ksy esa [k++Re djsaxs
fgalk] fu/kZurk] vkrad
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izse] vfgalk] HkkbZpkjk
[ksy&[ksy esa cpr djsaxs
Ikkuh] fctyh] Nqih /kjksgj
[ksy&[ksy esa [ksy&[ksy esa
jpukdkj & izhfr izoh.k] Hkksiky

Friday, September 16, 2011

जीवन का हर पल प्रफुल्लित हो ,उमंगों ,आकांक्षाओं से भरपूर हो 
जीवन का हर क्षण पल्लवित हो ,उपलब्धिओं,कल्पनाओं से अनुभूत हो
जीवन का हर फल अमृतमय हो,नव अरमानों,संभावनाओं से पोषित हो
जीवन का हर श्रम khushhalmaya हो,तन-मन,वचन से सुवासित हो
जीवन का हर पल सुपथगामी हो,विघ्न.बाधाओं से कभी न बाधित हो 
जीवन का हर कर्म सुयश फहराता हो,संयम,आत्मबल से बलवती हो
जीवन का हर घट ढाई आखर हो,प्रसन्नता,उल्लास,से उल्लासित हो 
जीवन का हर  धर्म आद्ध्यात्म हो,आइना,परछाईं सा पारदर्शी हो 
जीवन का हर पल प्रफुल्लित हो,उमंगों,आकांक्षाओं से अतुलनीय हो 
 

''Riddles''

A cock which never crow.
A fish which has no eyes.
A ship in which we can't travel.
A lock which can't be used to lock.
A room in which we can't enter.       
(1.shuttlecock.2 selfish.3 friendship.4 clock.5 mashroom.)

Saturday, September 10, 2011

drop of life

drop of  love
drop of care
drop of share
drop of layer
drop of cheer
drop of fear
drop of near
drop of tear
drop of water
drop of life
                 save water
                 save life

Thursday, May 5, 2011

माँ की ममता

माँ की ममता भली-भली
गूंजे महलां और गली-गली
माँ की चूड़ी हरी-हरी
माँ की पूड़ी भरी-भरी
माँ की सीढ़ी चढ़ी-चढ़ी
माँ की पीढ़ी बढ़ी-बढ़ी
माँ की ममता भली-भली
गूंजे महलां और गली-गली
माँ की धोती छनी-छनी
माँ की पोती बनी-बनी
माँ की छाती तनी-तनी
माँ की बानी धनी-धनी
माँ की ममता भली-भली
गूंजे महलां और गली-गली

Sunday, April 24, 2011

धरती के वीर बाल कविता

इस धरती के हैं वीर बहुत,इस तरकस के हैं तीर बहुत 
एक हुए सुभाष चन्द्र बोस,सबको था उनसे संतोष 
पल में बदले भेष-देश,दल में मित्र भाव उद्वेश  

जग में रहते अंदर-बाहर,अंग्रेजों के लिए अवरोध 
एक हुए जवाहर लाल नेहरु,उनकी गाथा कहे किशोर
पल में करते लुका-छिपी,संग में नाचते मोर
एक हुए महात्मा  गाँधी,वे बन रह गए आंधी 
फैली-बिखरी हुई एकता,गाँधी ने चुन-चुन कर बाँधी
इस धरती के वीर बहुत,इस धरती के तीर बहुत 






गर्मी की छुट्टी आई

गर्मी आई गर्मी आई,गर्मी की यह छुट्टी लाई
नाना के घर सबको लाई,दीदी  मौसी छोटा भाई
मामा के संग मामी आई,सबने मिलकर खीर पकाई 
बच्चों ने फिर खूब उड़ाई,नाना ने तब करी चढ़ाई 
बच्चों ने भी लड़ी लड़ाई,मम्मी ने फिर करी खिंचाई
पापा ने तब झप्पी पाई.सबने मिलकर धूम मचाई 
गर्मी आई गर्मी आई,गर्मी की छुट्टी लाई 




Saturday, April 23, 2011

डॉ राष्ट्रबंधू जी(वरिष्ठतम बाल साहित्यकार )से भेटवार्ता के अंश



बाळकविता संग्रह

दादी माँ दादी माँ,मेरी प्यारी दादी माँ
रूक जाओ न दादी माँ,मेरी प्यारी दादी माँ 
नहीं सुनाना परी कथा तुम,केवल गीत सुना देना 
नहीं खिलाना दूध बताशा,केवल दूध पिला देना
नहीं सिखाना गुड़िया बनाना,केवल सीना सिखा देना
नहीं दिखाना बाइस्कोप,केवल फोटो दिखा देना  
नहीं मुस्कुराना आठों पहर,केवल खुश हो बतला देना
नहीं सुलाना गोद में अपने,केवल बगल में बिठा देना 
नहीं सींचना सालभर,केवल आशीष दे देना 
दादी माँ दादी माँ, मेरी प्यारी दादी माँ  




Friday, April 8, 2011

'' उठे हाथ जो ''

उठे हाथ जो स्वागत को 
करो याद उन हाथों को 

बड़े जतन से ऊँगली थामे 
बढ़ना जिसने सिखलाया 
                                     
                                       बड़े यतन से धागा थामें 
                                       उड़ना जिसने सिखलाया 
                                       बड़े मनन से दामन थामे 
                                       खिलना जिसने सिखलाया 

उठे हाथ जो स्वागत को 
करो याद उन हाथों को



                                       

          

Thursday, April 7, 2011

'' जीवन में पुस्तक का महत्त्व ''

मनुष्य जीवन में पुस्तकों का स्थान अति विशिष्ठ है.
पुस्तक मनुष्य जीवन की आत्मा है यह सर्व विदित है.
           जीवन में पुस्तक प्रकाश पुंज की तरह है.इनमे तीनों शक्तियां निहित है.
ये शक्तियां हैं-सर्जनात्मक,रक्षात्मक,और विध्वंस्नात्मक हैं.जो समय-समय पर
उदघोषित होती रहती हैं.ये हमें जीवन में तादात्मय स्थापित करने के लिए संबल
प्रदान करती हैं.
                        हमें जीवन से जो अनुभव प्राप्त नहीं होता,वह ज्ञान से प्राप्त होता है
जो कि वास्तव में एक पुस्तक के माध्यम से ही हासिल होता है.मेरा मानन है कि जीवन 
में ज्ञान तीन तरह से प्राप्त होता है - पठन-पाठन से,अनुसरण से,और अनुभव से.
अनुभव ज्ञान की वह पुस्तक है जो सबसे कड़वी और सच्ची है.
                        पुस्तक मनुष्य जीवन की वह सीढ़ी है जिस पर चढ़कर कोई भी नीचे
उतरना नहीं चाहता है.नीचे झाँकने पर उसे दुनियां के रंग-ढंग साफ दिखाई देने लगते हैं.
         मेरी सोच है कि एक अच्छी किताब बचपन में जीवन कि आशा होती है,यौवन में कर्मों
कि अभिलाषा होती है,और बुढ़ापे में वही किताब ज्ञान कि भाषा बन जाती है.
              गांधीजी ने कहा था 'किसी कि मेहेरबानी मांगना अपनी आज़ादी बेचने के समान है'.
मैं तो कहूँगी कि,जो पुस्तक का दास है उसे किसी कि मेहेरबानी मांगने कि आवश्यकता नहीं
पड़ती है.जिस तरह आँखों को देखने के लिए रौशनी कि ज़रूरत होती है,उसी तरह मस्तिष्क 
को सोचने के लिए विचारों कि,और विचार पुस्तकों के अध्ययन से प्राप्त होता है.
               एक कहावत है'पढो पर सोचो ज्यादा,बोलो पर सुनो ज्यादा'यही बुद्धीमान होने कि 
निशानी है.
                 हमारे देश में अभी हिंदी बाल साहित्य और साहित्यकारों की कमी है.क्यूंकि यहाँ 
इन पुस्तकों के प्रकाशन के लिए PUBLISHAR को खोजना पड़ता है,जबकि अमेरिका आदि
देशों में हर १३ मिनिट में एक किताब छपती है,और उनमें बाल साहित्य कि संख्या अधिक है.
             एक अच्छी पुस्तक देवतुल्य होती है.उसमे देवी-देवताओं का वास होता है.पुस्त-
    - कालय ज्ञान का मंदिर है.वहां सरस्वती माँ स्वयं विराजती है.महापुरूषों कि आत्माएं उन
पुस्तकों के रूप में स्थापित रहती हैं.सत्संग के लिए पुस्तकालय से बढकर विद्वान और निर्मल
व्यक्तित्य कोई दूसरा नहीं मिल सकता है.मैंने सोचा है कि अमूल्य खजाने केरूप में मैं अपने बच्चों
                                                         
को एक प्रेरणादायक पुस्तकालय कि स्थापना करके धरोहर छोड़ जाउंगी.
ताकि वे कभी अपने-आप को अकेला न समझें.और कहा भी तो गया है कि किताबें मनुष्य कि सबसे अच्छी साथी होती  है.,''कभी लम्हों ने खता कि थी,सदियों ने सजा पाई''ये सोचकर हम निराश न होवें.और रही बात किताबों के महत्त्व कि तो वो सर्वविदित है.अपने बच्चों में पढने कि आदत हमें अभी और आज से ही विकसित
करनी होगी,तभी हम अपने संस्कारों को, जड़ों को,समाज को,देश को उन्नत कर पाएंगे. 
                         ( इस सन्देश के बारे में आप मित्रों के सुझाव का मुझे इंतजार रहेगा )











Tuesday, February 15, 2011

सन्डे है फंडे(गीत)

आओ प्यारे  बच्चों आओ,दादाजी के संग में गाओ
आओ प्यारे बच्चों आओ,दादी के संग में रम जाओ
सन्डे है फंडे,सन्डे है फंडे सन्डे है फंडे,सन्डे है फंडे
ये है अपना केंद्र प्यारा,नाज़ इसे हम बच्चों पे
ये है अपना केंद्र न्यारा,मान इसे सब बच्चों पे
सन्डे है फंडे,सन्डे है फंडे
सन्डे है फंडे,सन्डे है फंडे
यहाँ खेलते पढ़ते-लिखते,हम विश्वास जगाते हैं
यहाँ सीखकर चलते-फिरते,हम मुड़-मुडकर आते हैं
बाल केंद्र में आकर सारे,बच्चे खुश हो जाते हैं
सन्डे है फंडे,सन्डे है फंडे
सन्डे है फंडे,सन्डे है फंडे
यहाँ कठिन को सरल बनाते,हम सफल हो जाते हैं
यहाँ खेलकर हँसते-गाते हम मन-मन मुस्काते हैं
शोध केंद्र में छाकर प्यारे,खुद आकर्षण पाते हैं
सन्डे है फंडे,सन्डे है फंडे
सन्डे है फंडे,सन्डे है फंडे
यहाँ खास को आम बनाते,हम विकसित हो जाते हैं
यहाँ मननकर जुड़ते-गढ़ते,हम पल-पल जी जाते हैं
बच्चे केंद्र में आकर फिरसे, बालरूप पा जाते हैं
सन्डे है फंडे,सन्डे है फंडे
सन्डे है फंडे,सन्डे है फंडे
यहाँ पंख को फैलाकर,हम सब मिलजुल जाते हैं
यहाँ देखकर प्यार से सारे,हम त्यौहार मनाते हैं
बालकेंद्र में रहकर सारे,ज्ञान का दीप जलते हैं
सन्डे है फंडे,सन्डे है फंडे
सन्डे है फंडे,सन्डे है फंडे
आओ प्यारे  बच्चों आओ दादाजी के संग में गाओ
आओ प्यारे बच्चों आओ दादी के संग में रम जाओ
सन्डे है फंडे,सन्डे है फंडे
सन्डे है फंडे,सन्डे है फंडे 
              नोट:
(ये गीत बालसाहित्य शोध केंद्र के लिए लिखा गया है)










Wednesday, January 12, 2011

नटराज

भारतीय नाट्य परंपरा के अनुसार शिव आदि नर्तक हैं.
हमारे पूर्वज शिव से नृत्य का उद्भव एवं प्रसारण मानते
आये हैं.मुख्य रूप से सारे देश में शिव के चार रूपों की
पूजा की जाती है.प्रथम -विलाप'अर्थात -विनाशक के
रूप में (बंगाल)में द्वितीय -योगी के रूप में (म.प्र )में
तृतीय -वरदाता के रूप में (सर्वेत्र)पूजे जाते हैं.चतुर्थ
- नटराज के रूप में (दक्षिण )में .
       शिव के यौगिक रूप की आराधना भारत के 
मध्य भाग में अधिक की जाती है.बंगाल में उनके
विनाशकारी रूप की आराधना होती है. और दक्षिण
में उनकी आराधना आनंद नर्तन करने वाले नटराज
के रूप देखी जा सकती है.
वरदाता के रूप में वे सर्वेत्र पूजे जाते हैं.शिव को परि-
- पूर्ण अभिनेता के रूप में तथा  श्री नंदी केश्वेर के रूप में 
पूजे जाने का भी वर्णन मिलता हैं.