सबसे पहले आता सूरज
कभी न जी चुराता सूरज
जग को फिर महकता सूरज
खग को नित जगाता सूरज
नभ को रोज़ जगमगाता सूरज
सबसे पहले आता सूरज सूरज
कभी न जी चुराता सूरज
तन को खूब चमकता सूरज
मन को गति में लता सूरज
घन को दूर भगाता सूरज
सबसे पहले आता सूरज
कभी न जी चुराता सूरज
दुःख को चक्र बताता सूरज
सुख को फल बुलाता सूरज
मोक्षय का ध्यान कराता सूरज
सबसे पहले आता सूरज
कभी ना जी चुराता सूरज II
tumahri kawita mujhe bachapan me le jati hai,,,ati sunder
ReplyDeleteBachpan zindagi ka sabse sukhad pahlu hota
ReplyDeletehai jijaji.Meri kavita ne ye kam kiya iske
liye main aapki tahe dil se aabhari hun.