पुष्प के मौन को ग्रहण करो
लाश के मौन से डरा करो
मौन परों पर तैरते पंछियों से सीखो
शमशान के मौन को साधो
क्यूंकि.......................
फूल का मौन फूल बनाएगा
लाश का मौन लाश बनाएगा
पंछियों का मौन पंछी बनाएगा
लेकिन ........................
शमशान का मौन साधक बनाएगा .
हैप्पीकट कविता है । अच्छी लगी ।
ReplyDeleteअच्छे विचार.. अच्छी कविता..
ReplyDeleteati uttam
ReplyDeleteVivekji bahut aabhar.
ReplyDeletePrateek Maheshwariji, ye mera saubhagya
ReplyDeletehai ki aapko meri kavita ruchi.
Shukriya Atul jijaji.Isi tarah sarahte rahiyega or sameeksha bhi kigiyega.
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