स्लेट और बत्ती कि हुई लड़ाई
दोनों ने मिलकर कि खूब हाथापाई
स्लेट बोला क्यूँ इतराती हो
तुम्हें सब भूल चुके फिर भी बहलाती हो
बत्ती बोली क्यूँ भाव खाते हो
तुम्हें सब छोड़ चुके फिर भी नख्राते हो
स्लेट बोला ग्रामीण परिवेश में कभी-कभी जी लेता हूँ
वरना तो मैं दिन भर रोता हूँ
बत्ती बोली मैं भी कहाँ सुख पाती हूँ
लिखने के लिए नहीं अब तो शो के काम आती हूँ
दोनों कि आपबीती सुन
रामू भोला यूँ बोला
क्या बोला ???????
क्यूँ झगडा - लड़ाई बढ़ाते हो
multimedia के युग में देसी ढर्रा चलते हो
हवाई जहाज छोडकर साईकिल पर घुमाते हो
अच्छी पंक्तिया है ....
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एक बार जरुर पढ़े :-
(आपके पापा इंतजार कर रहे होंगे ...)
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_08.html
बहुत सुन्दर लिखा है|
ReplyDeleteGajendraji meri rachna aapko ruchi,ye mera saubhagya hai.main zarur padhungi.
ReplyDeletepatilji nazren inayat ke liye shukriya.
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