इस धरती के हैं वीर बहुत,इस तरकस के हैं तीर बहुत 
एक हुए सुभाष चन्द्र बोस,सबको था उनसे संतोष 
पल में बदले भेष-देश,दल में मित्र भाव उद्वेश  
जग में रहते अंदर-बाहर,अंग्रेजों के लिए अवरोध 
एक हुए जवाहर लाल नेहरु,उनकी गाथा कहे किशोर 
पल में करते लुका-छिपी,संग में नाचते मोर
एक हुए महात्मा  गाँधी,वे बन रह गए आंधी 
फैली-बिखरी हुई एकता,गाँधी ने चुन-चुन कर बाँधी
इस धरती के वीर बहुत,इस धरती के तीर बहुत  
 
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