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Sunday, April 24, 2011

धरती के वीर बाल कविता

इस धरती के हैं वीर बहुत,इस तरकस के हैं तीर बहुत 
एक हुए सुभाष चन्द्र बोस,सबको था उनसे संतोष 
पल में बदले भेष-देश,दल में मित्र भाव उद्वेश  

जग में रहते अंदर-बाहर,अंग्रेजों के लिए अवरोध 
एक हुए जवाहर लाल नेहरु,उनकी गाथा कहे किशोर
पल में करते लुका-छिपी,संग में नाचते मोर
एक हुए महात्मा  गाँधी,वे बन रह गए आंधी 
फैली-बिखरी हुई एकता,गाँधी ने चुन-चुन कर बाँधी
इस धरती के वीर बहुत,इस धरती के तीर बहुत 






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