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Wednesday, September 8, 2010

आशीष

ऐ मित्र !उठो सम्हलो जागो
चेहरे पर नवजीवन लाओ
जो छूट गया उसको छोडो
जो भूल गया उसको भूलो
होठों पर तान नई छेड़ो
मन में विश्वास नया बुनो
पथ की बाधाएं पर करो
जग में सदैव उन्नति करो
अपने हुनर का मान करो
वाणी सैयम से कार्य करो
पथ पर समहल  कर धन्य रहो
निराशाओं से खुद उबरो
आशाओं को साकार करो
अपने कम का अभिमान करो
इस पल को बेकार ना नष्ट करो
ऐ मित्र !आशीषों को स्वीकार करो
फिर नए नीड़ का निर्माण करो 1

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