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Thursday, September 23, 2010

जानवर का फ़र्ज़

दीनू ने बैलों की जोड़ी से कहा
आज जोतना है ,मालिक का खेत
कमर कसकर तैयार रहो
चारा खाकर भरपेट चलो
वहां न चलेगी अपनी माया
क्यूंकि उसपर मोटी काया
बैलों ने आपस में देखा
और देखकर किया विचार
आज करेंगे पूरा काम
नहीं करेंगे हम आराम
दीनू को देंगे उपहार
अपनी जोड़ी का स्नेह-प्यार
कभी ना छोड़ेंगे हम साथ
जानवर हुए तो क्या हुआ ?
शैतान को सबक सिखायेंगे
दीनू के खेत को बचायेंगे
शैतान से मुक्त कराएँगे
फिर मोती फसल उगायेंगे
खेत को चमन बनायेंगे
क़र्ज़ से मुक्त कराएँगे
जानवर का फ़र्ज़ निभाएंगे
इंसान को फिर बचायेंगे

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