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Thursday, September 2, 2010

सूरज

सबसे पहले आता सूरज
कभी न जी चुराता सूरज 

जग को फिर महकता सूरज
खग को नित जगाता सूरज
नभ को रोज़ जगमगाता सूरज

सबसे पहले आता सूरज सूरज
कभी न जी चुराता सूरज

तन को खूब चमकता सूरज
मन को गति में लता सूरज
घन को दूर भगाता सूरज

सबसे पहले आता सूरज
कभी न जी चुराता सूरज

दुःख को चक्र बताता सूरज
सुख को फल बुलाता सूरज
मोक्षय का ध्यान कराता सूरज

सबसे पहले आता सूरज
कभी ना जी चुराता सूरज II

2 comments:

  1. tumahri kawita mujhe bachapan me le jati hai,,,ati sunder

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  2. Bachpan zindagi ka sabse sukhad pahlu hota
    hai jijaji.Meri kavita ne ye kam kiya iske
    liye main aapki tahe dil se aabhari hun.

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